शोक भरा नववर्ष
सन् २००५ अपने साथ तबाही और शोक लेकर आया है. २६ दिसंबर २००४ के दिन मैं चेन्नई मे था. मेरे भाई के मित्र ने फोन पर बताया कि समुद्र शहर के अन्दर घुस गया. मैने पहले सोचा कि यह कुछ किस्म का मज़ाक था. फिर जाकर पता चला कि यह समुद्र का सच्चा प्रकोप था. सुनामी ने लाखों की तादाद मे लोगों का जान लिया. हमारा घर समुद्र के काफी दूर होने के कारण हमे इसका कोई एहसास नहीं हुआ. पर समुद्री तट पर स्थित कई घर और मनुष्य पानी के साथ बह गये. कुछ किस्मत वाले वापस आ गये, पर ज़्यादातर लोगों की जल समाधी हो गयी. औरों की लाश तट पर बह आई. भारत के अलावा और कई देशों को भी समुद्र का प्रकोप झेलना पडा. नववर्ष के समय, सारा एशिया शोक मे डूबा था.
मेरा सद्मा इसी हात्से के साथ खतम नही हुआ. हमारे सहकर्मचारी, संतोश का येर्काड मे निधन हो गया. संतोश की शादी पिछले महीने १९ तारीख को हुआ था. उसने अपनी पत्नी और अन्य मित्रों के साथ, नववर्ष मनाने येर्काड गया.मैं भगवान, अगर है तो, को प्रार्थना करता हूँ कि वो यह तबाही का काम छोडे और पुनः निर्माण करने वाले व्यक्तियों की सहायता करें. अगर, यह उनके काबिलियत से बाहर है, तो चुप चाप मनुष्यों को अपने काम पर छोड दें.